क्या लिंगायत नेता बी.पी. यतनाल का बीजेपी से निष्कासन कर्नाटक में पार्टी को नुकसान पहुंचाएगा?

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क्या लिंगायत नेता बी.पी. यतनाल का बीजेपी से निष्कासन कर्नाटक में पार्टी को नुकसान पहुंचाएगा?

क्या लिंगायत नेता बी.पी. यतनाल का बीजेपी से निष्कासन कर्नाटक में पार्टी को नुकसान पहुंचाएगा?

बेंगलुरु: कर्नाटक बीजेपी के वरिष्ठ नेता और विजयपुरा के विधायक बी.पी. यतनाल (B.P. Yatnal) को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है। यह फैसला पार्टी अनुशासन भंग करने और सार्वजनिक रूप से नेतृत्व की आलोचना करने के आरोपों के बाद लिया गया।

चूंकि यतनाल लिंगायत समुदाय के एक प्रमुख चेहरे हैं, इसलिए यह सवाल उठ रहा है कि क्या इससे बीजेपी की कर्नाटक में सामाजिक समीकरणों पर पकड़ कमजोर होगी? खासकर तब, जब 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी को राज्य में सिर्फ 17 में से 6 सीटें ही मिली थीं।


यतनाल निष्कासन का पूरा मामला

1. क्यों निकाले गए बी.पी. यतनाल?

  • बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिए।
  • मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और पूर्व सीएम बी.एस. येदियुरप्पा की खुलकर आलोचना की।
  • पार्टी लाइन से हटकर मीडिया में बयानबाजी की।

2. बीजेपी का आदेश क्या कहता है?

  • 6 साल तक पार्टी की किसी भी गतिविधि में भाग नहीं ले सकते।
  • विधायक पद बरकरार, लेकिन पार्टी विरोधी कार्यवाही पर अयोग्यता की नौबत आ सकती है।

कर्नाटक में लिंगायतों का राजनीतिक महत्व

1. कौन हैं लिंगायत?

  • कर्नाटक की सबसे बड़ी जाति समूह (कुल आबादी का ~17%)।
  • 2018 में अलग धर्म का दर्जा मांगा, जिसे केंद्र सरकार ने अभी तक मंजूर नहीं किया

2. बीजेपी और लिंगायत वोट बैंक

  • 2019 तक बीजेपी को लिंगायतों का भरपूर समर्थन मिलता था।
  • 2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इन्हें डिवाइड किया, जिससे बीजेपी को नुकसान हुआ।

3. यतनाल का लिंगायत नेतृत्व में रोल

  • येदियुरप्पा के बाद दूसरा सबसे प्रभावशाली लिंगायत नेता
  • अन्य समुदायों (जैसे कुर्मा, वोक्कालिगा) के साथ भी कनेक्शन

क्या बीजेपी को होगा नुकसान? विश्लेषण

1. पॉजिटिव इफेक्ट (बीजेपी के लिए)

✅ अनुशासन का संदेश: आंतरिक विद्रोह पर अंकुश।
✅ येदियुरप्पा का दबदबा बढ़ेगा: अब वे एकमात्र प्रमुख लिंगायत नेता रह जाएंगे।

2. नेगेटिव इफेक्ट (बीजेपी के लिए)

❌ लिंगायत वोटर्स नाराज: यतनाल के समर्थक कांग्रेस या जेडीएस की ओर झुक सकते हैं।
❌ 2028 विधानसभा चुनाव पर असर: बीजेपी को उत्तरी कर्नाटक (लिंगायत बहुल) में चुनौती मिल सकती है।

3. कांग्रेस को फायदा?

  • सिद्दारमैय्या पहले ही लिंगायत आरक्षण का वादा कर चुके हैं।
  • यतनाल के निष्कासन पर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर “बीजेपी का अहंकार” बताया।

यतनाल के विकल्प: क्या कर सकते हैं अब?

1. स्वतंत्र विधायक बनकर काम करना

  • विधानसभा में अपनी आवाज बुलंद कर सकते हैं।

2. नई पार्टी बनाना या कांग्रेस/जेडीएस में शामिल होना

  • लिंगायत आधारित पार्टी (जैसे BSR कांग्रेस) को रिवाइव करने की अफवाहें।

3. कोर्ट का रास्ता

  • निष्कासन को चुनौती दे सकते हैं, लेकिन सफलता की संभावना कम

राज्य के अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया

बीजेपी नेताओं का स्टैंड

  • येदियुरप्पा: “पार्टी का फैसला सही, अनुशासन जरूरी।”
  • बसवराज बोम्मई: “यतनाल जी ने बार-बार लाइन क्रॉस की।”

विपक्ष का हमला

  • डी.के. शिवकुमार (कांग्रेस): “बीजेपी में लोकतंत्र नहीं, डिक्टेटरशिप है।”
  • एच.डी. कुमारस्वामी (जेडीएस): “लिंगायतों को अब बीजेपी छोड़ देनी चाहिए।”

निष्कर्ष: बीजेपी के लिए चुनौती या अवसर?

यतनाल का निष्कासन अल्पकाल में बीजेपी को अनुशासित इमेज देगा, लेकिन लंबे समय में पार्टी को लिंगायत वोट बैंक के टूटने का खतरा है। अगर यतनाल कांग्रेस या किसी रीजनल पार्टी से जुड़ते हैं, तो 2028 का चुनावी समीकरण बदल सकता है।

फिलहाल, बीजेपी की नजर येदियुरप्पा के नेतृत्व में लिंगायतों को यूनाइटेड रखने पर होगी।

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