BHU में दलित छात्र शिवम सोनकर का धरना: जनरल कैटेगरी में दूसरी रैंक के बावजूद एडमिशन से वंचित

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BHU में दलित छात्र शिवम सोनकर का धरना: जनरल कैटेगरी में दूसरी रैंक के बावजूद एडमिशन से वंचित

BHU में दलित छात्र शिवम सोनकर का धरना: जनरल कैटेगरी में दूसरी रैंक के बावजूद एडमिशन से वंचित

वाराणसी, 25 जून 2024: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में एक दलित छात्र शिवम सोनकर ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। शिवम ने B.Sc (ऑनर्स) गणित में जनरल कैटेगरी में दूसरी रैंक हासिल की थी, लेकिन उसे एडमिशन से वंचित रखा गया है। उसका आरोप है कि जातिगत भेदभाव के कारण उसके साथ अन्याय हो रहा है।

यह मामला एक बार फिर भारतीय शिक्षा व्यवस्था में जातिगत पूर्वाग्रह पर सवाल खड़े कर रहा है। शिवम के समर्थन में अब छात्र संगठन, मानवाधिकार कार्यकर्ता और राजनीतिक दल आवाज उठा रहे हैं।


मामले की पूरी जानकारी

1. शिवम सोनकर कौन हैं?

  • गांव: बलिया, उत्तर प्रदेश
  • शैक्षणिक रिकॉर्ड:
    • 10वीं: 92%
    • 12वीं: 95% (गणित में 100/100)
    • CUET 2024: B.Sc गणित में जनरल कैटेगरी में दूसरी रैंक
  • आर्थिक पृष्ठभूमि: मजदूर परिवार से ताल्लुक, पिता मजदूरी करते हैं।

2. क्या हुआ BHU में?

  • शिवम ने BHU के B.Sc (ऑनर्स) गणित कोर्स के लिए आवेदन किया।
  • मेरिट लिस्ट में उसका नाम जनरल कैटेगरी में दूसरे स्थान पर था।
  • लेकिन, काउंसलिंग के दौरान उसे एडमिशन नहीं दिया गया।
  • प्रशासन का तर्क: “SC/ST कोटा छोड़कर जनरल कैटेगरी में आवेदन करने वालों को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी।”

3. शिवम का आरोप

  • “मैंने जनरल कैटेगरी में टॉप किया, फिर भी मुझे एडमिशन क्यों नहीं मिला?”
  • “अगर मैं SC कोटे का इस्तेमाल करता, तो मुझे सीट मिल जाती, लेकिन मैंने मेरिट के बल पर जीतने की कोशिश की।”
  • “यह साफ जातिगत भेदभाव है।”

BHU प्रशासन का पक्ष

BHU के रजिस्ट्रार डॉ. नीरज त्रिपाठी ने बताया:

  • “नियमों के अनुसार, SC/ST छात्रों को अपने कोटे में ही आवेदन करना होता है।”
  • “जनरल कैटेगरी में SC/ST छात्रों को प्राथमिकता नहीं दी जाती, भले ही उनकी रैंक कुछ भी हो।”
  • “हम नियमों के अनुसार काम कर रहे हैं।”

क्या यह नियम सही है?

  • UGC गाइडलाइन्स: SC/ST छात्र जनरल कैटेगरी में भी आवेदन कर सकते हैं, लेकिन कुछ संस्थान अपने नियम बना लेते हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट का स्टैंडआरक्षण एक अधिकार है, लेकिन छात्र मेरिट के आधार पर भी प्रवेश ले सकते हैं।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं

1. छात्र संगठनों का विरोध

  • AISA, SFI, ABVP ने BHU के खिलाफ प्रदर्शन किया।
  • नारेबाजी“जातिवादी BHU प्रशासन, हमारा नारा इंकलाब!”

2. दलित नेताओं ने उठाई आवाज

  • चंद्रशेखर आजाद (BAP): “यह सिस्टम दलितों को मेरिट में सफल नहीं होने देना चाहता।”
  • मायावती (BSP): “BHU प्रशासन को तुरंत शिवम को एडमिशन देना चाहिए।”

3. सोशल मीडिया पर ट्रेंड

  • #JusticeForShivam और #BHUDiscrimination ट्रेंड कर रहा है।
  • कई बड़े एक्टिविस्ट्स ने शिवम का केस उठाया है।

कानूनी लड़ाई की तैयारी

शिवम के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी की है।

  • याचिका: “BHU का नियम संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन करता है।”
  • मांग:
    • शिवम को तुरंत एडमिशन दिया जाए।
    • SC/ST छात्रों के लिए जनरल कैटेगरी में आवेदन का अधिकार सुनिश्चित किया जाए।

निष्कर्ष: एक लड़ाई सिर्फ एडमिशन की नहीं, न्याय की

शिवम सोनकर का मामला सिर्फ एक छात्र की प्रवेश लड़ाई नहीं है, बल्कि यह भारतीय शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त जातिगत पूर्वाग्रह को उजागर करता है। अगर मेरिट के आधार पर टॉप करने वाले छात्र को भी एडमिशन नहीं मिलेगा, तो आरक्षण का मकसद क्या रह जाएगा?

BHU प्रशासन को तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए, नहीं तो यह विवाद राष्ट्रीय बहस का रूप ले सकता है।

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