MUDA मामले में सिद्धारमैया को राहत, हाईकोर्ट ने लोकायुक्त रिपोर्ट जमा करने की समयसीमा बढ़ाई

MUDA मामले में सिद्धारमैया को राहत, हाईकोर्ट ने लोकायुक्त रिपोर्ट जमा करने की समयसीमा बढ़ाई
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कथित तौर पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके परिवार के सदस्यों से जुड़े मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) घोटाले पर लोकायुक्त पुलिस को अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने की समय सीमा 28 जनवरी, 2025 तक बढ़ा दी है।
न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने कहा कि वह जिला (ट्रायल) अदालत को निर्धारित तिथि (24 दिसंबर, 2024) पर जांच रिपोर्ट स्वीकार करके उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही को विफल करने की अनुमति नहीं देगी।
उच्च न्यायालय आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा MUDA मामले में सीबीआई जांच की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिन्होंने MUDA द्वारा सिद्धारमैया की पत्नी को 14 आवासीय स्थलों के आवंटन के खिलाफ लोकायुक्त के समक्ष शिकायत दर्ज की थी। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 15 जनवरी, 2024 तय की है।
इससे पहले, सिद्धारमैया और राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने कहा कि वे याचिका पर आपत्ति दर्ज कराएंगे।
यह याद किया जा सकता है कि 24 सितंबर को राज्यपाल के मंजूरी आदेश को चुनौती देने वाली सीएम की याचिका को हाईकोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के बाद लोकायुक्त पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी, जिससे ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही का रास्ता साफ हो गया था। तदनुसार, ट्रायल कोर्ट ने लोकायुक्त को एफआईआर दर्ज करने और MUDA मामले की जांच करने का आदेश दिया था।
सिद्धारमैया ने न केवल एकल पीठ के आदेश (राज्यपाल के मंजूरी आदेश को बरकरार रखते हुए) के खिलाफ डिवीजनल बेंच में याचिका दायर की, बल्कि हाईकोर्ट की एकल पीठ के समक्ष स्नेहमयी कृष्णा की सीबीआई जांच की याचिका के खिलाफ भी अपील की।
इस बीच, सीएम की पत्नी ने स्वेच्छा से 14 साइटें MUDA को वापस कर दी हैं।
MUDA मामले में धन शोधन के आरोपों की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने लोकायुक्त पुलिस को लिखे पत्र में 50:50 भूमि मुआवजा योजना के तहत MUDA द्वारा किए गए भूमि आवंटन में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप लगाया है।